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आबकारी विभाग के बैरियर कर्मचारियों ने ग्रामीण युवकों को किया भर्ती के नाम पर गुमराह ?

आबकारी विभाग के बैरियर कर्मचारियों ने ग्रामीण युवकों को किया भर्ती के नाम पर गुमराह?

ग्रामीण युवक सुबह से नौकरी की आस लगाए बैठे रहे।

कृष्णा पांडे की रिपोर्ट,

घटना की जानकारी होने पर भी उच्च अधिकारियों द्वारा शून्य कार्यवाही ?

गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के गौरेला ब्लाक स्थित धनौली बेरियर पर आज कर्मचारियों द्वारा गुमराह करने का वाक्या सामने आया है जिसमे में ड्यूटी करने हेतु कर्मचारियों द्वारा ग्रामीणों को बुलाया गया था । सुबह से ही आसपास के ग्रामीण नौजवान नौकरी की आस लिए बैरियर पहुंच गए थे लेकिन सुबह से शाम हो गई किसी प्रकार की कोई भर्ती प्रक्रिया जब उन्हें समझ न आई तो वो मायूस होकर घर की ओर निकल गए । जब इस पूरे मामले की जानकारी छत्तीसगढ़ प्रादेशिक मानव संसाधन विकास समिति व द सिटी वाच के संवाददाता कृष्णा पांडेय को हुई तो वो मामले को समझने हेतु आबकारी विभाग के बेरियर कर्मचारी से लेकर उच्च अधिकारी तक फ़ोन पर बात की लेकिन मामला समझ से परे हो गया। बेरियर कर्मचारी से बात करने पर पहले तो उलूल जुलूल बात की गई फिर बाद में अपनी पहुंच आबकारी मंत्री तक होने की बात की गई कुछ स्पष्ट उत्तर नही मिलने पर इंस्पेक्टर से बात हुई जिन्होंने भर्ती की बात को स्वीकार तो किया लेकिन भर्ती होने की प्रक्रिया को नकार दिया उन्होंने कहा कि शिर्फ़ वहां पर कार्यरत गार्ड को भय दिखाने व अच्छे से काम करने की हिदायत देने के लिए ऐसा कहा गया था ताकि वहां कार्यरत गार्ड अपनी ड्यूटी अच्छे व ईमानदारी से करे इनकी बात भी स्पष्ट समझ न आने पर जिला आबकारी अधिकारी ध्रुव जी से भी बात की गई व पूरे मामले की जानकारी दी गई जिस उन्हीने साफ तौर पर ऐसी किसी भर्ती के नही होने की जानकारी देते हुए फ़ोन को काट दिया और उसके बाद कई बार फ़ोन करने पर भी फ़ोन उठाना लाजमी नही समझा ।
बात यहां यह नही की किसी प्रकार से किसी के साथ कोई धोखाधड़ी हुई लेकिन जिस प्रकार का वाक्या हुआ वह प्रश्न चिन्ह लगाने के लिए पर्याप्त है क्योंकि क्या बिना किसी अधिकारी के कहे किसी बैरियर पर तैनात गार्ड की इतनी हिम्मत कैसे हो सकती है वह ग्रामीणों को नौकरी हेतु भर्ती की सूचना देकर उन्हें बुला सके और भला ऐसा कर उस बैरियर कर्मचारी को क्या मिलेगा । लेकिन जिस तरह बैरियर कर्मचारी द्वारा संवाददाता से बात कर अपनी पहुच मंत्री तक होना बताया गया वह बहुत गलत बात थी जो हजम होने लायक नही रही। और सोने पर सुहागा दूसरी तरफ आबकारी अधिकारी का ये कहना कि भर्ती के लिए विज्ञापन निकलेगा सिर्फ गार्ड को समझाइश देने व उनके अंदर ड्यूटी से हटने का डर दिखाने ये कार्यकिया गया ये भी बात हजम होने की सूरत में नही और अंत मे उच्च अधिकारी द्वारा शिर्फ़ भर्ती कि बात को नकार देना संवाददाता से पूरी बात नही करना दुबारा फ़ोन नही उठाना ये भी हजम होने वाली बात नही । तीनो वाक्या कुछ न कुछ गलत होने की ओर इशारा करते है कुलमिलाकर ये कहना गलत नही होगा कि कहीं न कहीं गुप्त रुप से आबकारी विभाग द्वारा भर्ती करने की प्रक्रिया थी लेकिन किसी कारणवश पूर्ण नही हो सकी ग्रामीणों से यह भी जानकारी मिली है कि वर्तमान में भी जी बेरियर गार्ड काम कर रहे है उनकी भी भर्ती ऐसे ही बिना किसी नोटिफिकेशन किसी सूचना के ही हुई है । अब यह जांच करने का विषय है कि क्या उनका कहना सही है यही हां तो आज जो हुआ वो होना भी लाजमी था। हमारे द्वारा किसी के ऊपर कोई आरोप प्रत्यारोप नही लगाया जा रहा हम केवल समाज मे चल रहे उच्च जानपहचान व जनप्रतिनिधियों की पसंद के अनुसार युवकों को रोजगार देने का विरोध कर रहे है हम चाहते है कि किसी प्रकार की नियुक्ति यदि कही भी होती है तो उसमें जिस प्रकार के मापदंड की आवश्यकता है उसकी जो पूर्ति करता हो उसे मौका देना चाहिए न कि माथा देख कर तिलक लगाना चाहिए। आज जितने भी ग्रामीण युवक धनौली बेरियर पहुचे उनके मन के भाव को समझिए उनके द्वारा आज पूरे दिन का काम धाम छोड़ भूखे प्यासे नौकरी की आस पर अपना दिन काट दिया और उन्हें अंत मे क्या मिला कुछ नही । जरा सोचिए हमारा समाज हमारा प्रशासन क्या कर रहा है इसके लिए कौन लोग जिम्मेदार है ? इसका उत्तर हमे पूछना चाहिए।।

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