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पीसीसी को पैनल तैयार कर भेजने की कल आखिरी तारीख, डीसीसी की बैठक में पुराने तीन नामों पर असहमति बनने की खबर

पीसीसी को पैनल तैयार कर भेजने की कल आखिरी तारीख, डीसीसी की बैठक में पुराने तीन नामों पर असहमति बनने की खबर

राजेंद्र प्रसाद जायसवाल रिपोर्ट 

जांजगीर-चांपा। प्रदेश के सबसे चर्चित जांजगीर चांपा सीट से इस बार नए चेहरे को मौका मिल सकता है, या फिर पुराने चेहरे पर ही कांग्रेस दांव खेलेगी, यह दिलचस्प सवाल लोगों के जेहन में कौंध रहा है। सूत्रों के हवाले से बड़ी खबर सामने आई है, जिसके मुताबिक, डीसीसी की बैठक में पुराने तीन नामों पर सहमति नहीं बन सकी। इन नामों को लेकर कुछ लोगों ने कड़ी आपत्ति जताई। हालांकि शीर्ष नेताओं के निर्देश पर उनके नाम पैनल में शामिल करने की खबर है, तो वहीं डीसीसी ने रायसुमारी के बाद तीन नामों का पैनल तैयार पैनल तैयार किया था, जिसमें नए चेहरे होने की बात कही जा रही है। हालांकि इन बातों में सच्चाई कितनी है, ये तो नहीं पता, लेकिन इस बार इस सीट से नए चेहरे को मौका दिए जाने की सुगबुगाहट जोरों पर है।

बता दें कि कांग्रेस इस बार विधानसभा चुनाव में 75 प्लस का लक्ष्य लेकर चुनावी महासंग्राम में उतर रही है। इस लिहाज से प्रत्याशी चयन के लिए इस बार कांग्रेस ने नया फार्मूला तैयार किया है, जिसके मुताबिक ब्लाक कांग्रेस में आवेदन के बाद डीसीसी को तीन नामों का पैनल बनाकर भेजना है, जिसकी अंतिम तिथि 29 अगस्त है। इधर, पैनल तैयार करने से पहले डीसीसी की बैठक जांजगीर में हुई, जिसमें नामों का पैनल तैयार किया गया है। सूत्रों का कहना है कि पैनल तैयार करने से पहले हुई डीसीसी की बैठक में पुराने तीन नामों को लेकर कांग्रेसजन सहमत नहीं हुए। कहा तो यहां तक जा रहा है कि इन नामों को लेकर काफी हल्ला भी हुआ। बताया जाता है शीर्ष नेताओं के निर्देश पर बाद में इन नामों को पैनल में शामिल किया गया। सूत्रों का कहना है कि डीसीसी ने रायसुमारी करके तीन लोगों का पैनल तैयार किया है, जिसमें सभी नए चेहरे है। इन चेहरों में जांजगीर और चांपा से चेहरा होने की बात भी कही जा रही है। हालांकि इन बातों की पुष्टि हम नहीं करते। लेकिन इस तरह की चर्चा जोरों पर है।

नए चहरे की मांग जोरों पर
बता दें कि कांग्रेस के तत्कालीन पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम जब जांजगीर में कांग्रेसजनों की बैठक लेने आए थे तो उस समय भी नए चेहरे की मांग कांग्रेसजनों ने पुरजोर की थी। वहीं दूसरी ओर, वर्ष 1998 से 2018 तक कांग्रेस एक ही चेहरे को यहां से बार-बार अपना उम्मीदवार बना रही है, जिससे आमजन भी पूरी तरह उब गए हैं। जनता भी चाहती है कि किसी नए व योग्य उम्मीदवार को मौका दे, जो लोगों की दुख दर्द को समझते हुए सदैव उनकी सेवा में तत्पर रहे। इन सबके बावजूद भी यदि प्रत्याशी चयन में कांग्रेस जरा सी भी चूक करती है तो उन्हें खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।

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