*संस्कृत को जनमानस की भाषा बनाने का करें प्रयास : कुलपति प्रो. कारुण्यकरा*
वर्धा, 31 अगस्त 2023:
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलपति प्रो. एल. कारुण्यकरा ने कहा कि संस्कृत को जनमानस की भाषा बनाने के लिए प्रयास करना चाहिए। वे
साहित्य विद्यापीठ के अंतर्गत संचालित संस्कृत विभाग की ओर से 31 अगस्त को महादेवी वर्मा सभागार में संस्कृत दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि संस्कृत सरल और मृदुल भाषा है। भारतीय ज्ञान परंपरा में संस्कृत एक महत्वपूर्ण भाषा है। आज के परिप्रेक्ष्य में संस्कृत को एक सामान्य भाषा के रूप में प्रसारित-प्रचारित करना चाहिए। इस कार्य को एक चुनौती मान कर उसे जनमानस में ले जाने की जरूरत है। कुलपति ने कहा कि किसी भी भाषा का ज्ञान व्यर्थ नहीं जाता, वह जीवन में कभी ना कभी काम आता है। भाषा के ज्ञान का उपयोग मनुष्य को उसके व्यक्तित्व की पहचान भी दिलाता है। उन्होंने संस्कृत शिक्षकों से आह्वान किया कि आप संस्कृत को आगे बढ़ाने वाले योद्धा बने। उन्होंने विश्वविद्यालय में संस्कृत में प्रमाण पत्र पाठ्यक्रम शुरू करने पर बल देते हुए कहा कि विश्वविद्यालय के प्रत्येक विद्यार्थी ने 3-4 भाषाएँ सीखनी चाहिए।
इस अवसर पर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के संस्कृत एवं प्राच्यविद्या संस्थान के डाॅ. गोपाल लाल मीणा ने ‘वर्तमान समय में संस्कृत का वैशिष्ट्य’ विषय पर ऑनलाइन व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि संस्कृत अनेक भाषाओं की जननी है।इसमें शालिनता, सम्मान, सभ्यता और सौहार्द ओतप्रोत है। उन्होंने संस्कृत के प्राचीन महत्व की चर्चा करते हुए इसका आचरण करने की अपील की।
कार्यक्रम में स्वागत भाषण संस्कृत विभाग के सहायक आचार्य डॉ. प्रदीप ने किया। संचालन संस्कृत विभाग के सहायक आचार्य डॉ. जगदीश नारायण तिवारी ने तथा धन्यवाद ज्ञापन भारतीय भाषा विभाग के सहायक आचार्य डॉ. राम कृपाल द्वारा किया गया। संस्कृत विभाग सहायक आचार्य डॉ. वागीश राज शुक्ल ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। विश्वविद्यालय के कुलगीत एवं विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत स्वागत गीत से कार्यक्रम का प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम में अध्यापक, शोधार्थी, विद्यार्थी एवं कर्मचारी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
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