जिला जांजगीर चांपा ब्यूरो रिपोर्ट राजेंद्र प्रसाद जायसवाल
*हरितालिका तीज व्रत का महात्म्य श्रीमती कुमुदिनी द्विवेदी चांपा,जांजगीर चांपा*
जिला जांजगीर चांपा छत्तीसगढ़ हरितालिका व्रत का महात्म्य पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी श्रीमती कुमुदिनी द्विवेदी जी ने इस तीज त्यौहार हमारा देश पर्वो एवं त्योहारों के लिए विशेष रूप से जाना जाता है इन पर्वो में तीज के पर्व का विशेष महत्व है। इस पर्व में सभी महिलाएं निर्जला व्रत कर पति की दीर्घायु एवं मनोवांछित फल प्राप्ति हेतु भगवान शिव एवं पार्वती जी की पूरे भक्ति भाव से पूजा अर्चना करती है।
भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरितालिका तीज मनाई जाती है। कहा जाता है कि सबसे पहले गिरिराज हिमालय की पुत्री पार्वती ने इस व्रत को किया था। जिसके फलस्वरूप भगवान शंकर
उन्हें पति के रूप में प्राप्त हुए।
कुंवारी लड़कियां भी मनोवांछित वर की प्राप्ति के लिए इस दिन व्रत रखकर माता पार्वती की पूजा करती है। हरियाली तीज के दिन भगवान शंकर ने देवी पार्वती को पति के रूप में स्वीकार करने का वरदान दिया था। पार्वती के कहने पर शिव जी ने आशीर्वाद दिया था, जो भी कुंवारी कन्या इस व्रत को रखेंगे उसके विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होंगी।
इस दिन निर्जला व्रत कर शिव और माता पार्वती जी की विधि पूर्वक पूजन करने का विधान है।
तीज पर्व के 1 दिन पहले से ही विवाहित महिलाएं एवं कन्याएं अपने हाथों में मेहंदी लगाकर इसे मनाती है।
भारतीय संस्कृति के महान पर्व हरियाली तीज व्रत के बारे में श्रीमती कुमुदिनी द्विवेदी बताती है कि मान्यता है कि मां पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए107जन्म लिए थे। अंततः मां पार्वती के कठोर तप और उनके 108 वें जन्म में भगवान ने पार्वती जी को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया ।
तभी से ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से मां पार्वती प्रसन्न होकर पतियों को दीर्घायु होने का आशीर्वाद देती है। इसमें पत्नियां निर्जला व्रत रखती है ।
हाथों में नई चूड़ियां, मेहंदी और पैरों में आलता लगाती है, जो सुहाग का चिन्ह माना जाता है,और नए वस्त्र पहनकर मां पार्वती की पूजा अर्चना करती है।
सभी सौभाग्यवती स्त्रियां व कुंवारी कन्याएं निराहार रहकर,रात्रि जागरण कर, बालू के शिवलिंग की पूजा कर,सखी सहेलियों सहित शंकर पार्वती की पूजा रात्रि में कर, मनोवांछित फल व सौभाग्य प्राप्त कर सकती हैं।
इस पर्व को प्रकृति से जोड़कर भी देखा जाता है क्योंकि इस दिन महिलाएं सावन के बाद आई नई 16 तरह की पत्तियों को शिव जी को चढ़ा कर समृद्धि व सौभाग्य का वर मांगती है।
* अपने आलेख के माध्यम से श्रीमती कुमुदिनी द्विवेदी ने सभी बहनों माताओं को सुख, समृद्धि, सौभाग्य,अखंड सुहाग, आस्था, श्रद्धा, मनोरथ पूर्ण करने वाले हरितालिका तीज व्रत की अनवरत बधाई एवं अक्षय पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी श्रीमती कुमुदिनी द्विवेदी चांपा, जांजगीर-चांपा शुभकामनाएं प्रेषित की