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बसंतपुर मे आयुष्मान भारत के तहत खोले गए शासकीय अस्पताल ह बीमार, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का क्यों नहीं है  ध्यान ?

बसंतपुर मैं आयुष्मान भारत के तहत खोले गए शासकीय अस्पताल ह बीमार, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का क्यों नहीं है  ध्यान।

कृष्णा पांडे की रिपोर्ट,

बसंतपुर शासकीय अस्पताल में अराजकता
शासन की ओर से जनता के स्वास्थ्य के लिए तरह तरह के उपाय किये जा रहे है परन्तु शासन की ओर से पदस्थ कर्मचारी सिर्फ दिन काट कर किसी हालत से वेतन के लिए 1तारीख की इंतिजार में लगे रहते है. फील्ड वर्कर नर्स भास्कर मैडम पुरे परिवार के सहित बहू बेटा पति को ले कर यहाँ निवास करती है जो सिर्फ हॉस्पिटल में गंदगी फैलाने के सिवाय कुछ काम नहीं करते. यहाँ एक रोशनी मरावी पदस्थ है जो हॉस्पिटल की ओर से है जिनका कोई अता पता नहीं रहता. अगर कोई महिला डीलवारी के लिए आ जाये तो उसका भरोषा सिर्फ भगवान पर ही है. आज सुबह 9बजे मानव संसाधन विकास समिति के जिलाध्यक्ष कृष्णा पाण्डेय द्वारा हॉस्पिटल जाया गया जहाँ पूरा हॉस्पिटल गंध से युक्त और चारो ओर पूरा खुला हुवा दवाइया बिखरी हुई टॉयलेट खुला हुवा. फील्ड वर्कर भास्कर मैडम के पति सामने आकर बहस की स्थिति निर्मित किया गया. जबकि फील्ड वर्कर कोई हॉस्पिटल कर्मचारी नहीं होता. न ही हॉस्पिटल में रहने का अधिकार है. जिसे वहां रह रहे फील्ड वर्कर भास्कर अपना जागीर समझते है. डिलवारी के समय के लगने वाले उपकरण अस्त व्यस्त अवस्था में बिखरा हुवा है. याने की इसे लोगो को पागल करने का स्थल अगर कहा जाये तो कोई गलत नहीं होगा. दवाइया कोई भी निकाल ले या उसमे जहर डाल दे कोई माई बाप नहीं है।
bmo अमृत मिंज जी से बात किया गया जिसमे उन्होंने देखवाने की बात कहा परन्तु यह चिंतनीय विषय है इस पर कोई टीका टिप्पड़ी नहीं किए।

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