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गुरु घसीदास विश्वविद्यालय के खिलाफ धरने पर क्यों बैठी छात्राएं जाने क्या है पूरा मामला।

बिलासपुर–गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय में भोजन को लेकर मचे हंगामे के बाद।एक फिर केंद्रीय विश्व विद्यालय सुर्खीया बटोरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है।आपको बताते चले की केंद्रीय विश्व विद्यालय के अंदर कन्या छात्रावास में गुणवत्ता विहीन भोजन को खाने से पचास से अधिक छात्राएं बीमार पड़ गई।जिनको उल्टी दस्त और कई तरह की शारीरिक परेशानी का सामना करना पड़ा।

 

अभी हाल में ही आयोजित एक समारोह के लिए देश की महामहिम राष्ट्रपति को बुलाया गया।जिसमे विश्व विद्यालय ने अपनी अलग पहचान बनाने की कवायद में लगा रहा। लेकिन इसके बाद भी यहां की व्यवस्थाएं ऐसी है कि छात्रावास में रहने वाली छात्राओं के लिए जो भोजन परोसा गया उसके खाने के बाद कई छात्रा बीमार पड़ गई।

 

बीमार पड़ी छात्राओं की सुध लेना कोई नही आया।आनन फानन में बीमार पड़ी छात्राओं ने अपने इलाज के लिए खुद पहल करते हुए निजी अस्पतालों के तरफ रुख की और कुछ डॉक्टरों की सलाह से दवाई लेकर अपने स्वास्थ को ठीक करने के प्रयास में लग गई।लेकिन इस घटना के बाद से लंबे समय से चल रही अव्यस्था और रविवार को भोजन के बाद बीमार पड़ी छात्रा को देखने के बाद छात्रावास की छात्राओं ने रविवार की देर रात विश्वविद्यालय परिसर में धरने में बैठ गई।और प्रबंधन के खिलाफ लामबंद होकर मोर्चा खोल दिया।जिसके बाद बड़ी संख्या में छात्राएं एक साथ विश्व विद्यालय प्रबंधन को अंधकार से बाहर निकालने और अपने और ध्यानकर्षित करने के लिए हाथो में मोबाइल का टार्च जलाकर केंद्रीय विश्व विद्यालय के कुलपति निवास की और चल पड़ी और निवास के गेट के सामने बैठ गई।

 

धरने में बैठी छात्राओं का आरोप है की यहां पर किसी प्रकार सुविधा नहीं है इस तरफ विश्वविद्यालय प्रबंधन ध्यान नहीं देता।कई बार व्यवस्था को लेकर बात की गई।

 

लेकिन प्रबंधन एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल देते है।रसोई का जायजा लिया तो पाया कि जिस पानी से भोजन तैयार किया जा रहा है उसमें नाली के पानी जैसा दुर्गंध आ रहा है।

 

भोजन को उसी में पकाया जा रहा वह गुणवत्ता विहीन और उस पर स्वच्छता की भारी कमी। देर रात में ही छात्राएं विश्वविद्यालय परिसर में धरने पर बैठ गई। और धरने में बैठने के बाद एबीवीपी के कार्यकर्ता भी पहुंच कर इनकी समस्यो को लेकर जमकर नारेबाजी की और विश्व विद्यालय प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा को खोले रखा।

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