पखांजूर-हाई स्कूल देवपुर तथा हायर सकेंडरी स्कूल मरोड़ा में स्मार्ट लैब के नाम पर हुए फर्जीवाड़ा की परते खुलने लगी है। जिस फर्म द्वारा समान्य प्लाई की दो टेबल जिसमें ग्रेनाइट पत्थर लगा हुआ है तथा तीन टीने की आलमारी के एवज में 3.50 रूपए की राशि का भुगतान किया गया। सप्लायर द्वारा एक एक टैबल के कीमत 1.50 लाख तक लगाई। इस पूरे फर्जीवाड़े की खास बात यह रही की सरपंच सचिव के अलावा किसी अधिकारी व तकनिकी विशेशज्ञ का कोई अभिमत तक नहीं लिया गया और पूरा भुगतान सरपंच सचिव के माध्यम से करा दिया गया।
विकासखंड कोयलीबेड़ा के जिला पंचायत सदस्य कापसी तथा बांदे के द्वारा अपने अपने क्षेत्र की दो स्कूलों को स्मार्ट विज्ञान लैब के लिए दी गई 3.50 लाख की राशि में हुए फर्जीवाड़े की परत अब खुलने लगी है। कापसी जिला पंचायत सदस्य अंजली अधिकारी ने ग्राम देवपूर स्थित हाई स्कूल के लिए स्वंम के मद से 3.50 लाख तथा बांदे जिला पंचायत सदस्य सुनीता
मंडल से अपने मद से मरोड़ा हायर सकेंडरी स्कूल को स्मार्ट लैब के लिए 3.50 लाख की राशि स्वीकृत की थी। इस राशि का व्यय पंचायत के माध्यम से स्कूल में स्मार्ट लैब के लिए होना था। पर पूरी राशि सप्लायर और अधिकारियों के फर्जीवाड़े की भेंट चढ़ गई। इस पूरे मामले में सबसे चौकाने वाली बात यह है की इस पूरे मामले में सरंपच सचिव के अलावा पूरी प्रक्रिया में किसी भी अधिकारी के कोई हस्ताक्षर तक नहीं है। दोनों पंचायत से संबंधित फर्म को सरपंच सचिव के हस्ताक्षर से ही पूरी प्रकिया पूर्ण कर पूरी राशि उक्त फर्म को स्थानांतरित कर दी गई। राशि आने के बाद तीन फर्म के कोटेशन, कम राशि देने वाली डिजिटल जोन कुरूद को कार्य की स्वीकृती से ले कर भुगतान तक सरपंच सचिव के ही हस्ताक्षर से कर दिया गया। फर्म द्वारा एक एक टैबल की कीमत एक लाख छः हजार से एक लाख 56 हजार तक ली गई इस संबंध में किसी तकनीकि विशेशज्ञ का अभिमत तक नहीं लिया गया। फर्म द्वारा दिए गए समान की गुणवत्ता की जांच तक नहीं कराई गई और न की इस काम का कोई मूल्यांकन कराया गया। जो बिल फर्म ने पंचायत को दिया पूरी राशि पंचायत के खाते से फर्म को स्थानांतरित कर दी गई। हर कागज में सरपंच सचिव के ही
हस्ताक्षर है और दोनो पंचायतों में इस राशि का पूरा भुगतान संबधित फर्म को कर दिया गया। सप्लायर फर्म डिजिटल जोन कुरूद द्वारा दिए गए बिल में रसायन विशय के लिए प्रायोगिक टेबल के लिए 1 लाख 6 हजार 292 रूपए तथा बायो तथा भौतिक विशय के लिए प्रायोगिक टेबल के लिए 1 लाख 56 हजार 506 रूपए का बिल थमाया गया। वहीं तीन आलमारी के लिए 33661 रूपए लिए गए। इस सबंध में जब डिजिटल जोन के संचालक संताराम साहू से जानकारी ली गई तो उन्होनें बताया की उनके द्वारा शासन के निर्धारित दर से कम कीमत में समान की सप्लाई की गई है दिया गया समान छत्तीसगढ़ में नहीं बनता बाहर से मंगाना पड़ता है जिस कारण इसका रेट अधिक है। इस संबंध में जिला पंचायत सीईओ सुमित अग्रवाल ने बताया कि अगर भुगतान में कोई त्रुटि हुई है तो जिम्मेदारों पर जिम्मेदारों पर कार्रवाई होगी ।इस संबंध में जांच करवाई जा रही है।