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राजस्व विभाग में भ्रष्टाचार …. एफआईआर के बदले बहाली..8 महीनो बाद भी क्यो नहीं दर्ज हुआ एफआईआर ?

*गौरेला पेंड्रा मरवाही: राजस्व विभाग में भ्रष्टाचार देखिए…. एफआईआर के बदले बहाली..8 महीनो बाद भी दर्ज नहीं हुआ एफआईआर…*

कृष्णा पांडे की खबर ,

*120 बी, 420, 467, 468, 471 के तहत दर्ज होना था एफआईआर,*

*बड़े झाड़ का जंगल मद भूमि की हेराफेरी का मामला,*

गौरेला पेंड्रा मरवाही : राजस्व विभाग में फैला भ्रष्टाचार लगातार विभाग को दीमक की तरह खोखला करता जा रहा है… कड़े नियम निर्देशों के बाद भी राजस्व अधिकारी अपने भ्रष्ट कार्यशैली से बाज नहीं आ रहे है…. जहां सरकार का स्पष्ट आदेश है की भू माफियाओं पर, भ्रष्ट आरोपी अधिकारियो पर तत्काल एफआईआर दर्ज किया जाना है परंतु आदेश केवल कागजों तक ही सीमित रह गया है..

दरअसल हम बात कर रहे है नवनिर्मित जिला गौरेला पेंड्रा मरवाही की जो इन दिनों भू माफियाओं, भ्रष्ट अधिकारियों की वजह से सुर्खिया बटोर रहा है… जहां आवदेन तो दिया जाता है लेकिन उस आवदेन में कार्यवाही की जगह केवल दलाली होती है,

तहसील पेंड्रा रोड अंतर्गत कोटखर्रा स्थित बड़े झाड़ के जंगल की जमीन के दस्तावेजों में कूटरचना कर अवैध रूप से बिक्री कर लाभ कमाने का मामला सामने आया था। 2023 में कुछ भू माफियाओं के साथ मिलीभगत कर तत्कालीन कोटखर्रा पटवारी रवि जोगी कुजूर ने बड़े झाड़ जंगल मद की भूमि को कूट रचित तरीके से अपने सहयोगियों के नाम पर दर्ज कर दिया था जिसमे भूमि के आधार पर करोड़ो रुपए लोन भी लिया गया था,

जिस मामले में शिकायत होने के पश्चात पटवारी को दोषी पाते हुए तत्काल निलंबित कर दिया गया था, व जांच उपरांत एफआईआर दर्ज करने की बात कही गई थी..परंतु इस बात को 08 महीनो से अधिक समय बीत चुका हैं, लेकिन एफआईआर तो दूर की बात कुछ 2 महीने पूर्व पटवारी को बहाल किया जा चुका है,

*समझे क्या था मामला,….

गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले की पेंड्रा रोड तहसील के अंतर्गत ग्राम कोटखर्रा में बड़े झाड़ जंगल मे दर्ज भूमि हेरा फेरी अवैध तरीके से आय अर्जित करने के लिए की गई थी, जिसमे पूरे घोटाले का मुख्य सरगना
पटवारी रवि जोगी कुजूर था जिसके द्वारा ही कूट रचना करते हुए अवैध तरीके से दस्तावेजों में हेर फेर कर करोड़ो रुपए के घोटाले को अंजाम दिया गया था,

जिस मामले की शिकायत पर जाँच कराई गई थी जाँच में यह पाया गया कि पटवारी रवि जोगी कुजूर द्वारा अपने पद का दुरुप्रयोग करते हुए बड़े झाड़ जंगल मद भूमि को अपने सहयोगियों के नाम पर दर्ज किया था, जिसमे कुजूर को निलंबित तो किया गया था परंतु, जिस मामले में पटवारी के खिलाफ एफआईआर होना सुनिश्चित था उस मामले में पटवारी को अभयदान देते हुए बहाल कर दिया गया , अब इस अभय दान की क्या वजह थी ,ये तो सोचनीय और चिंतनीय विषय है,

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