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स्मार्ट सिटी का सपना, पर शहर के प्रमुख स्थानों पर सार्वजनिक शौचालयों की कमी से जनता परेशान…

*बिलासपुर: स्मार्ट सिटी का सपना, पर सार्वजनिक शौचालयों की कमी से जनता परेशान*

बिलासपुर, छत्तीसगढ़ का प्रमुख शहर, जिसे स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित करने का लक्ष्य है। इस योजना के अंतर्गत यहां का बुनियादी ढांचा सुधारने, यातायात प्रणाली को सुव्यवस्थित करने और पर्यावरण-संरक्षण उपायों को अपनाने की दिशा में कई कदम उठाए जा रहे हैं। हालांकि, शहर के प्रमुख चौराहों पर सार्वजनिक शौचालयों की कमी के कारण स्थानीय नागरिकों और बाहरी लोगों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। यह समस्या न केवल स्वच्छता के मानकों पर सवाल उठाती है, बल्कि स्वास्थ्य और पर्यावरण पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

*शहर के प्रमुख स्थानों पर सुविधाओं की कमी*
बिलासपुर के कई महत्वपूर्ण चौराहे जैसे कि नेहरू चौक, सिटी मॉल क्षेत्र, महाराणा प्रताप चौक , जगमाल चौक, गांधी चौक, गुरु नानक चौक, मंगला चौक, मैग्नेटो मॉल का छेत्र , मध्य नगरी और  गोलबाजार जैसे व्यस्त स्थानों पर सार्वजनिक शौचालयों की कमी साफ देखी जा सकती है। ये स्थान न केवल स्थानीय निवासियों बल्कि दूसरे जिलों से आने वाले लोगों की आवाजाही का केंद्र हैं। लेकिन यहां सार्वजनिक शौचालयों की अनुपलब्धता के कारण लोग आस-पास की दीवारों, झाड़ियों और अन्य सार्वजनिक स्थानों का उपयोग करने के लिए मजबूर हो जाते हैं। इससे न केवल वातावरण प्रदूषित होता है, बल्कि आसपास की स्वच्छता पर भी नकारात्मक असर पड़ता है।

*स्वच्छ भारत मिशन पर प्रभाव*
बिलासपुर में स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत जागरूकता अभियान तो चलाए जा रहे हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि जब बुनियादी सुविधाएं ही उपलब्ध नहीं हैं तो स्वच्छता अभियान की सार्थकता पर प्रश्नचिह्न लग जाता है। जहां शहर को कचरा मुक्त, स्वच्छ और आकर्षक बनाने की कोशिश की जा रही है, वहीं इस कमी के कारण गंदगी की समस्या लगातार बढ़ रही है। शहर के नागरिकों का कहना है कि अगर प्रशासन सचमुच स्वच्छता के प्रति गंभीर है, तो सबसे पहले सार्वजनिक शौचालयों की पर्याप्त व्यवस्था करनी होगी।

*जिला प्रशासन की उदासीनता*
स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि स्मार्ट सिटी परियोजना के नाम पर बड़े-बड़े वादे तो किए जा रहे हैं, लेकिन छोटे मगर महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। सरकार ने शहर को स्मार्ट बनाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए हैं, लेकिन सार्वजनिक शौचालयों के लिए पर्याप्त धनराशि न मिल पाने का दावा किया जा रहा है। इस कारण कई लोगों में नाराज़गी है और वे प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि इन समस्याओं का शीघ्र समाधान निकाला जाए।

*स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव भी *
पब्लिक शौचालयों की कमी का सबसे अधिक असर महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों पर पड़ रहा है। विशेष रूप से महिलाओं को इस कारण गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि उन्हें शौचालय ढूंढ़ने के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है। इसके अलावा, गंदगी और खुले में शौच के कारण बीमारियों के फैलने की संभावना भी बढ़ जाती है। यह स्थिति न केवल स्वास्थ्य बल्कि पर्यावरण को भी प्रभावित कर रही है, और इससे शहर का विकास बाधित हो रहा है।

*बिलासपुर की जनता ने की मांग और दिया सुझाव*
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि शहर में सार्वजनिक शौचालयों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। इसके अलावा, जहां पहले से शौचालय मौजूद हैं, उनकी नियमित सफाई और रखरखाव भी जरूरी है। साथ ही, स्मार्ट सिटी परियोजना में निर्धारित धनराशि का एक हिस्सा सार्वजनिक सुविधाओं की ओर भी मोड़ा जाना चाहिए ताकि जनता को सुविधाएं मिल सकें।

बिलासपुर को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने का उद्देश्य तभी पूरा हो सकता है जब बुनियादी आवश्यकताओं की ओर ध्यान दिया जाए। सार्वजनिक शौचालयों की उपलब्धता और रखरखाव इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। प्रशासन को चाहिए कि वह इस मुद्दे को प्राथमिकता के आधार पर हल करे ताकि बिलासपुर सच में स्मार्ट सिटी के मानकों पर खरा उतर सके।

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