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विष्णु देव साय के सुशासन कल में सेवरा ग्राम पंचायत के पांच रमेश गुप्ता का अनोखा मांग, आबकारी विभाग को इस समस्या की ओर क्यों नहीं है ध्यान?

विष्णु देवसाय के सुशासन काल में ग्राम पंचायत के पांच रमेश गुप्ता का अनोखा मांग

 

*सेवरा पंचायत पंच रमेश गुप्ता ने की अहाता खोलने की मांग, बोले – ‘शराब तो लोग पी ही रहे हैं, कम से कम व्यवस्थित तो हो’**

**आसापास के क्षेत्र में शराब पीने की खुली छूट तो है , लेकिन सुविधा नहीं — पुलिस की कार्रवाई से परेशान है ग्रामीण**

पेंड्रा — गांव में जगह-जगह शराब पीने की बढ़ती घटनाओं और पुलिस की ओर से की जा रही कार्रवाई के बीच अब पंचायत के पंच ने एक नया प्रस्ताव रखा है। पंच का कहना है कि जब शराब पीना कानूनी रूप से अनुमत है, तो गांव में एक निर्धारित और वैध ‘अहाता’ खोल देना चाहिए ताकि लोग व्यवस्थित तरीके से शराब पी सकें और पुलिस की अनावश्यक दखलअंदाजी से ग्रामीणों को राहत मिल सके।

**शराब पीते हैं लेकिन छिपकर — और यहीं से होती है परेशानी की शुरुआत**

गांव के अलग-अलग हिस्सों में लोग सड़क किनारे, खेतों में या फिर खाली जगहों पर बैठकर शराब पीते हैं। इससे न सिर्फ सामाजिक माहौल खराब हो रहा है, बल्कि अक्सर लड़ाई-झगड़े, गाली-गलौज और पुलिस की रेड जैसी घटनाएं सामने आती हैं। पंच रमेश गुप्तबका कहना है, “जब सरकार खुद शराब बेच रही है, तो पीने के लिए भी जगह उपलब्ध करानी चाहिए। लोग खुले में पीते हैं, पुलिस उन्हें पकड़ती है, कभी-कभी मारपीट भी हो जाती है। इससे गांव का माहौल खराब हो रहा है।”

**पुलिस की कार्रवाई बनी सिरदर्द**

पुलिस की गश्त और रेड से ग्रामीणों में भय का माहौल बन गया है। आए दिन पुलिस गांव में पहुंचती है और सार्वजनिक स्थानों पर शराब पी रहे लोगों को पकड़ लेती है। कई मामलों में बिना सुनवाई के भी मारपीट और जुर्माना लगाया जाता है। इससे लोगों में नाराजगी है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें बार-बार तंग किया जाता है, जबकि वे सिर्फ वही कर रहे हैं जो सरकार की नीतियों के तहत वैध है।

**पंच ने रखा प्रस्ताव, पंचायत में हुआ समर्थन**

पंच रमेश गुप्ता ने पंचायत की बैठक में बाकायदा यह प्रस्ताव रखा कि गांव या आसपास में शराब पीने के लिए एक निर्धारित अहाता खोला जाए। उनका तर्क था कि इससे लोग सड़कों या खेतों में शराब पीने से बचेंगे और गांव का माहौल भी नियंत्रण में रहेगा। इस प्रस्ताव को गांव के अन्य पंचों और कई ग्रामीणों का भी समर्थन मिला है।

गांव के सरपंच दुर्गा ओट्टी ने भी इस मुद्दे पर विचार करने की बात कही है। उनका कहना है कि यदि इससे गांव की व्यवस्था में सुधार आता है और पुलिस का अनावश्यक हस्तक्षेप कम होता है, तो इसे जिला प्रशासन के सामने रखा जा सकता है।

**कई जिलों में पहले से चल रही ऐसी व्यवस्था**

कुछ जिलों और शहरों में पहले से ही ऐसी व्यवस्था मौजूद है जहाँ पर शराब की दुकानों के पास ही अहाता (शराब पीने की अधिकृत जगह) बना दिया गया है। वहां लोग बैठकर शांति से शराब पीते हैं और बाद में घर लौटते हैं। इससे सड़क पर उपद्रव नहीं होता और पुलिस को भी हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं पड़ती।

**महिलाओं का विरोध भी, कुछ ने जताई चिंता**

हालांकि, गांव की कुछ महिलाओं ने इस प्रस्ताव पर नाराजगी जाहिर की है। उनका कहना है कि शराब पीने की सुविधा उपलब्ध कराना मतलब और ज्यादा लोगों को इसके लिए प्रोत्साहित करना। “घर पहले ही तबाह हो रहे हैं शराब की वजह से, अब तो गांव के बीच में ही बैठकर पिएंगे लोग,” एक महिला ने गुस्से में कहा।

**प्रशासन की प्रतिक्रिया का इंतजार**

पंचायत अब इस प्रस्ताव को लिखित रूप में जिला प्रशासन को भेजने की तैयारी में है। पंचों का मानना सुशासन त्यौहार में यदि यह प्रस्ताव स्वीकार होता है तो गांव व आसपास की कानून व्यवस्था में सुधार होगा, पुलिस-ग्रामीणों के बीच टकराव कम होगा और लोग मर्यादित ढंग से शराब का सेवन कर सकेंगे।

जिसका सीधा-सीधा असर गांव से लगे आसपास में शराब पीने को लेकर बढ़ रही समस्याएं किसी एक का नहीं, बल्कि पूरे समुदाय का मुद्दा बन चुकी हैं। पंचायत पंच का अहाता खोलने का प्रस्ताव भले ही विवादित हो, लेकिन यह एक ऐसी पहल है जिसे गंभीरता से सोचना होगा। सरकार अगर शराब बेच रही है, तो उसे पीने की जगह देना भी उतना ही जरूरी है, ताकि समाज में अनुशासन और व्यवस्था बनी रहे। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस प्रस्ताव को कैसे लेता है और क्या इस दिशा में कोई कदम उठाया जाता है या नहीं।

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