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बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है दशहरा पर्व

बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है दशहरा पर्व्र । दशहरा को विजय पर्व भी कहा जाता है। इसी दिन रावण पर भगवान राम ने विजय प्राप्त की थी। हमारे देश में धार्मिकता का अति महत्व है और इन्हीं धर्म ग्रंथों एवं पुराणों के आधार पर देश में बहुत से त्यौहार हर्षाेल्लाष से मनाये जाते हैं। यूं तो देश में मनाये जाना लगभग हर त्यौहार, बुराई पर अच्छाई एवं असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है, पंरतु बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में एक त्यौहार पूरे देश में प्रसिद्ध है, वह है “दशहरा“।

भारतीय पंचांग के अनुसार आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी को दशहरा का त्यौहार पूरे देश में मनाया जाता है। क्यूंकि इस दिन असत्य पर सत्य की विजय हुई थी इसीलिए इसे विजयादशमी भी कहा जाता है।

पूरे देश में भिन्न भिन्न स्थानों पर इसे मनाने का तरीका अलग अलग है। उत्तर भारत में कुल्लू में मनाये जाना वाला महोत्सव विश्व भर में प्रसिद्ध है। दशहरे का त्यौहार हिंदूओं के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। यह त्यौहार भगवान श्री राम के अद्भुत पराक्रम की कहानी दर्शाता है जिन्होंनें रावण की लंका में 9 दिनों तक लगातार चले युद्ध के पश्चात अंहकारी रावण को मार गिराया था और माता सीता को उसके बंधन से मुक्त करवाया था तथा इस प्रकार सारे विश्व को बुराई पर अच्छाई की जीत का सन्देश दिया। साथ ही साथ इस दिन मां दुर्गा ने भी एक लम्बे युद्ध के पश्चात राक्षस महिषासुर का संहार किया था इसलिये भी इस दशमी को विजयदशमी के रुप में मनाया जाता है और मां दूर्गा की पूजा भी की जाती है।

इसके पश्चात दशमी के दिन ही प्रभु श्री राम ने रावण का वध कर युद्ध समाप्त किया। भगवान राम की रावण पर और माता दुर्गा की महिषासुर पर जीत के इस त्यौहार को बुराई पर अच्छाई और अधर्म पर धर्म की विजय के रुप में देशभर में मनाया जाता है। दशहरे के साथ साथ पूरा देश मां दुर्गा की पूजा कर इस महोत्सव को एक बहुत विशालकाय रूप देता है। जहां कुछ स्थानों पर भगवान् राम की विशेष रूप से पूजा की जाती है वहीँ बंगाल जैसे स्थानों पर दुर्गा पूजा को एक बहुत ही बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। बंगाल की दुर्गा पूजा विश्व भर में प्रसिद्ध है।

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