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राजस्व निरीक्षक अंगद की पांव की तरह जमे आयुक्त के पत्र से मचा हड़कंप।

राजस्व निरीक्षक अंगद की पांव की तरह जमाये 2 लोग भू-अभिलेख शाखा में.बाकी जिले में घूम कर तोड़ रहे मुफ्त की रोटियां.एक ही जिले में 3 साल से ज्यादा जमे लोगो की मंगाई गई सूची.आयुक्त के पत्र से मचा हड़कंप/भू अभिलेख शाखा के आयुक्त ने प्रदेश के सभी जिले के कलेक्टरो को पत्र भेजा है.इसमें उन्होंने राजस्व निरीक्षको की पदस्थापना के बारे में जानकारी मांगी है.जारी पत्र के अनुसार यह लिखा गया है की एक ही जिले में 3 साल से अधिक समय तक जमे रहने वाले लोगो की सूची भेजी जाये.जिसमें डायवर्सन शाखा में ही 2 लोग जमे हुए है.जिनका नाम राजेश शुक्ला और प्रियंका श्रीवास्तव है जिनका कार्यकाल 3 साल से ज्यादा हो चुका है इसी तरह अगर हम एक जिले की बात करे तो 3 साल से ज्यादा जमे हुए लोगो में बहुत लोग है.जिसमे कुछ रसूखदार है कुछ राजनितिक वाले है और कुछ लोग पैसो के दम पर टिके हुए है.जिनका रोजी रोटी और साथ में बटर चल रहा है.दरसल हम आपको बताना चाहते है कि जिले में कोई एक नहीं बल्कि दर्जनों भर लोग है जो 3 साल से ज्यादा समय से जमे हुए है और आराम से मलाई खा रहे है.एक ही जिले में 3 साल से ज्यादा पदस्थ होने वाले राजस्व निरीक्षकों में कमल किशोर कौशिक,संध्या नामदेव,अश्वनी देवांगन,संतोष देवांगन,पंकज मिश्रा,विघ्नेश सिंह,मीना पांडेय,अखिलेश साहू,महेंद्र प्रसाद मिश्रा,छतलाल कश्यप,उत्तम देवांगन,मोतीलाल कुर्रे,ऋषि राज सिंह,विकास तिवारी,अशोक कुमार सोनी,सुनील कश्यप,सतीश कश्यप,रमेश नायक,प्रतिज्ञा राही,परमेश्वर साहू,मयंक शुक्ला,पीयूष दीवान,पूर्णिमा मेहर, और समर्थ थवाईत शामिल है.दरसल इन लोगो का सोचना है की हमको कोई नहीं हटा सकता बल्कि शासन भी कुछ नहीं कर सकता.जबकि राज्य शासन ने इसके पहले ढाई साल वालो की सूची मांगी थी जिसमे कई लोगो का नाम दबाया गया और उसमे खेल कर दिया गया.इस बार भी ऐसा ही कुछ होने वाला है.वैसे सूत्र बता रहे है की जब तक ये लोग नहीं हटेंगे बाकी लोगो को मौक़ा कैसे मिलेगा.लेकिन अंगद की पांव की तरह एक ही जिले में बैठकर मुफ्त की रोटियां तोड़ना समझ से परे है.फ़िलहाल देखना है की राज्य शासन के पत्र का जवाब जिला प्रशासन कब तक देता है.और पत्र मिलने के बाद कितने लोगो को हटाकर कार्रवाई करता है.आपको इसमें यह भी बताना चाहते है की राजस्व विभाग में कई लोग जिले से बाहर नहीं जाना चाहते है.चाहे वह पटवारी हो या फिर आरआई हो या फिर तहसीलदार.जो लोग यहाँ पर काम करने का तरिका जानते है वह लोग इस जिले से बाहर जाना नहीं चाहते.जिसकी वजह से कई बार आपसी विवाद हो चूका है.विभाग के सूत्रों ने यह भी कहा की जिनकी आदत ख़राब हो चुकी है वह तो खुद चाहते है की राज्य सरकार कही मत भेजे ।

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