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आखिर सुर्खियों में रहने वाले तहसीलदार के ऊपर क्यों नही की जाती कार्यवाही,क्यों उच्च अधिकारी ?

आखिर सुर्खियों में रहने वाले तहसीलदार के ऊपर क्यों नही की जाती कार्यवाही,क्यों उच्च अधिकारी है मौन ?

सूरजपुर से विष्णु कसेरा की रिपोर्ट

किसका है संरक्षण, जिससे सीपीसी कानून उलंघन के बावजूद भी जिले के एक तहसीलदार का मनोबल है सातवे आसमान पर,,,

0संपूर्ण नियम को दरकिनार कर धूमधाम से मनाया गया था तहसीलदार का जन्मदिन,,,

0 अधीनस्थ कर्मचारी,आरआई, पटवारी, बाबू बने थे कैटर्स, केक-मिष्ठान भी बाँटा गया था,,

सूरजपुर. लगातार सुर्खियों में रहने वाले सूरजपुर जिला मुख्यालय के तहसीलदार संजय राठौर फिर से एक बार चर्चा का विषय बने हुए हैं. दरअसल कुछ दिन पहले सोशल मीडिया में संजय राठौर का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें तहसीलदार साहब अपने दफ्तर में पूरी साज सज्जा के साथ अपना जन्मदिन ऐसे सेलिब्रेट कर रहे थे, मानो जैसे वह जनहित दफ़्तर नहीं बल्कि उनका निजी प्रॉपर्टी हो. उनका जन्मदिन का यह वीडियो आम जनता, जनप्रतिनिधि, प्रसाशनिक अधिकारी-कर्मचारी समेत मीडिया में भी खूब सुर्खियां बटोर चूका है. सेलिब्रिटी बनने के बाद जब अचानक जिला प्रशासन की आँखे खुली तब जिला प्रशासन की ओर से उनसे एक समय सीमा के अंदर पूरे मामले को लेकर जवाब मांगा गया था, लेकिन वह समय सीमा बीते हुए भी कई दिन हो गए हैं,बावजूद इसके अभी तक तहसीलदार संजय राठौर की तरफ से जिला प्रशासन को कोई भी जवाब नहीं दिया गया है. जवाब न देने के बाद भी जवाब मांगने वाले उच्च अधिकारियो के द्वारा अभी तक साहब पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है, जो एक बड़ी चिंता का विषय है.इतना ही नहीं उनको ना तो जनप्रतिनिधियों के किसी बात का असर होता है और ना ही उनके नजर में प्रशासनिक-संवैधानिक दस्तावेजों का कोई सम्मान है. हम आपको बता दें तहसीलदार संजय राठौर से जनप्रतिनिधि भी काफी नाराज हैं, यही वजह है कि कुछ दिन पहले भाजपा के दिग्गज नेताओं के द्वारा तहसीलदार ऑफिस का घेराव किया गया था और तमाम जनहित मुद्दों को लेकर उन पर गंभीर आरोप लगाए गए थे.तमाम आरोपों के बावजूद आज भी तहसीलदार साहब अपने कुर्सी पर बैठे हुए हैं और अपनी मनमानी कर रहे हैं,जो न सिर्फ चिंता का विषय बना हुआ है, बल्कि किसी भी आम नागरिक को हजम हो जाने वाली बात.

किसका है संरक्षण….?

कारण बताओ नोटिस मिलने के बाद एकदम से जवाब न देने वाले दोषी संजय राठौर द्वारा सिविल प्रकिया संहिता के पूर्ण उल्लंघन के बावजूद भी अभी तक कोई कार्यवाही न किया जाना किसी बड़े आका का संरक्षण होने की ओर इसरा कर रहा है. शायद यही वजह है की संजय राठौर तमाम अधिकारी और जनप्रतिनिधियों से खुद को ऊपर समझ रहे है और आज भी अंगद के पैर की तरह अपने कुर्सी पर डेट हुए हैं,,

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