संवाददाता शेख असलम
डाकविभाग की मनमानी से कोटा की जनता परेसान..48 घंटे में नगर की संस्था को नगरपंचायत सीमा से 3 किमी बाहर रातो रात सीवीरमन में शिफ्ट करने से भड़के जनप्रतिनिधि और जनता।
कोटा डाकघर के कर्मचारी का सीवीरमन के प्रति क्या है मोह का कारण..क्यो नही खोजी नगर में जगह..क्यों नही ली नागरिको से सलाह।
लोगों का कहना है कि कोटा के डाकविभाग के कर्मचारी की कोई अंदरूनी सेटिंग तो नही। उस जगह पर आनन फानन में ऑफिस शिफ्ट करने के पीछे।
कोटा–जानकार बताते है कि करगीरोड कोटा में नगर के मध्य में जब से पोस्ट ऑफिस खुला तब से संचालित हो रहा था, उस समय लम्बे समय तक कई बर्षो से एक ही माकान मालिक के घर मे पोस्ट ऑफिस रहने के कारण जब वो खाली कराने के लिए बोले तो बर्षों लग गए, पर पोस्टऑफिस को उस स्थान मकान से हटाया नही गया, और मामला सायद कोर्ट भी गया वंहा से भी रिलीफ नही मिली तब जा कर मकान मालिक को जबरदस्ती माकान खाली कराना पड़ा।
फिर कोटा बस स्टैंड में नगर पंचायत के काम्प्लेक्स में बिगत पच्चीस तीस बर्षों से पोस्ट ऑफिस चल रहा है। अब बरसात में एक तरफ छत का प्लास्टर गिर गया टेबल पर तो उसको रिपेयर करवाने की बजाय कर्मचारियों ने डाकविभाग को ऐसा बीडियो बना कर भेजा जैसे छत ही गिर गई हो और 48 घंटे में पोस्ट ऑफिस नगर से 3 किमी दूर ग्रामपंचायत रानीसागर के सीवीरमन विश्वबिद्यालय में लेजाकर शिफ्ट कर दिया गया, इतनी जल्दी पोस्टऑफिस को नगर से बाहर शिफ्ट करने का सायद छत्तीसगढ़ में यह पहला मामला होगा।
नगर पंचायत की बिल्डिंग में 600 रुपया महीने का किराया डाक विभाग दे रहा था, अगर इस बिल्डिंग में सुधारकार्य की जरूरत है तो नगर पंचायत ने कई बार सुधरवाने की बात कही थी, तब ऑफिस को कंही अन्यत्र बिभाग ने शिफ्ट करने में दिलचस्पी नही दिखाई तो सुधार कैसे होसकता था,
अभी भी नगरपंचायत न्यूनतम दर पर दूसरी सर्वसुविधायुक्त बिल्डिंग देने को तैयार था नगरपंचायत सीमा के अंदर तो फिर अधिक मासिक किराया देकर नगरपंचायत सीमा से बाहर शिफ्ट करने के पीछे का क्या रहस्य है।
डाक विभाग के पैसे का दुरुपयोग करने का कोटा डाकघर के कर्मचारी को क्यों खेलना पड़ा ए खेल, क्या लाभ हो रहा है कोटा पोस्ट ऑफिस के कर्मचारी को।
डाकघरों की जनता के सेवा के लिए एक अपनी शाख है। जनता डाकघरों पर विश्वास करती है अपनी गाढ़ी कमाई का पैसा जमा करती है शहर के बीच मे तीन बैंक है तब भी कोटा डाक घर मे ब्यवसाय निरंतर बढ़ता गया आख़िर कयों..सिर्फ जनता को सुविधा जनक कार्य मिला, पोस्ट ऑफिस और एजेंटों ने ईमानदारी मेहनत से काम किया। आज कम्पटीशन के दौर पर शहर से बाहर पोस्ट ऑफिस को लेजाना ,जनता की सुविधा को ध्यान न देना, उचित कदम नही है। इससे ब्यवसाय भी प्रभावित होगा।
बुजुर्गों, महिलाओं को नगर से बाहर जा कर लेनदेन करना उचित नही होगा,जोखिम भरा होगा। जिस जगह पर डाकघर खोला गया है वंहा जगह कम है, हितग्राहियों को बरसात में खड़े होने, ग्रहकोंको बैठने की जगह नही है फिर भी बिभाग का ऐसी जगह पर सिर्फ डाक कर्मचारियों की सुबिधा का ध्यान रख कर काम किया जाना जनता के हित मे नही है। क्यों की लोगो का कहना है कि ऐसी संस्थाएं जनता की सुविधा उनके हितों को ध्यान में रख कर सरकार संचालित करती है।
नगरवासियों का कहना है कि पीपरतराई बीओ है वंहा डाकघर संचालित है फिर पांच किमी पर कोटा उपडाकघर है। अब इसे समझदार पोस्टऑफिस के कर्मचारी रानीसागर मौहरखार 3 किमी दुर ले गये। अब यंहा से पीपरतराई बीओ की दूरी और कम लगभग 2 किमी हो गई। और कोट की संस्था हैं यहीं के लोगो को अपना काम कराने नगर से 3 किमी दूर जाना पड़ेगा। आखिर सीवीरमन से कोटा पोस्टऑफिस के कर्मचारियों का क्या लाभ का कनेक्सन है जो और कही नगर में न खोल कर सीमा से बाहर संस्था को खोल दिये। और उच्च अधिकारियों को भी गुमराह किये।नगर के अंदर जगह नही देखे, न ही किसी जनप्रतिनिधयों से सलाह किये भवन दिलाने के लिए।
इस समय कोटा पोस्ट ऑफिस को नगर पंचायत सीमा से बाहर शिफ्ट करने के विरोध में डाक विभाग के सभी उच्च अधिकारियों को जनप्रतिनिधियों ने कोटा नगर की जनता की परेशानियों से अवगत कराते हुए अपनी आपत्ति दर्ज कराई है लिखित में, अब अगर बिभाग मनमानी करता है तो आंदोलन जनता करेगी उसकी समस्त जिम्मेदारी डाक बिभाग की होगी।