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कंजक्टिवाइटिस (आंख आना) के लक्षण होने पर नजदीकी शासकीय अस्पतालों में जांच कराने की अपील, कलेक्टर प्रियंका ऋषि महोबिया।

 

*कंजक्टिवाइटिस (आंख आना) के लक्षण होने पर नजदीकी शासकीय अस्पतालों में जांच कराने की अपील*

*कलेक्टर के निर्देशानुसार सीएमएचओ ने नेत्र चिकित्सकों की बैठक लेकर दिए आवश्यक निर्देश*

जीपीएस से कृष्णा पांडे की रिपोर्ट,

*नेत्र चिकित्सकों द्वारा विभिन्न विद्यालयों में किया जा रहा नेत्र परीक्षण*

*जिले में अब तक आई फ्लू के मिले है लगभग 130 मरीज*

गौरेला पेंड्रा मरवाही 28 जुलाई 2023/ इन दिनों मौसम में सर्द-गर्म उतार चढ़ाव की वजह से आई फ्लू (आंख आना) बीमारी के मरीज अस्पतालों में आ रहे है। कलेक्टर श्रीमती प्रियंका ऋषि महोबिया ने आई फ्लू के लक्षण होने पर नजदीकी शासकीय अस्पतालों में उपचार कराने जनसमान्य से अपील की है। कलेक्टर के निर्देशानुसार मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आई नागेश्वर राव ने जिला नोडल अंधत्व निवारण डॉ हेमंत तंवर, नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ रागनी मरावी एवं नेत्र सहायक अधिकारियों की बैठक लेकर आंखों की जांच, उपचार एवं रोकथाम हेतु आवश्यक निर्देश दिए है।
कलेक्टर के निर्देशानुसार विगत दिनों जिले के तीनों विकासखंडों में स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय कन्या विद्यालयों में अध्ययनरत सभी बच्चों की नेत्र सहायक अधिकारियों द्वारा आंखों की जांच कर कंजक्टिवाइटिस प्रभावित बच्चों का उपचार किया गया साथ ही उन्हें रोकथाम के उपाय भी बताए गए। नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ रागनी मरावी द्वारा पिछले दिनों गुरुकुल विद्यालय के बच्चों की आंखों का परीक्षण कर उपचार किया गया एवं रोकथाम के उपाय के संबंध में उचित मार्गदर्शन दिया गया। उन्होने बताया कि जिले में अब तक लगभग कंजक्टिवाइटिस के 130 मरीज मिले है, इनका उपचार किया गया। जिले के विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों में प्रतिदिन आई फ्लू के लगभग 20 से 30 मरीज आ रहे है। जिनका उपचार करने के साथ ही बचाव के उपाय के संबंध में जागरूक किया जा रहा है।
नेत्र विशेषज्ञ डॉ रागनी मरावी ने बताया कि कंजक्टिवाइटिस आंखों की आम बीमारी है, जिसे हम आंख आना भी कहते है। यह संक्रमण 7 से 10 दिन तक रहता है। इसका लक्षण आंख लाल होना, चुभन होना, कीचड़ आना, आंसू आना एवं कभी-कभी सूजन आना भी है। इसका संक्रमण आंख को बार-बार छूने से प्रभावित मरीज का तौलिया, रुमाल, तकिया, चस्मा आदि का उपयोग करने से फैलता है। संक्रमण से बचाव के लिए आंखों को बार-बार न छुएं, संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचे एवं उनके द्वारा उपयोग किए जाने वाली वस्तुओं का उपयोग नहीं करें, हाथों को साबुन से धोएं और स्वच्छता पर ध्यान रखें।

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