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शिक्षा का मुख्य उद्देश्य व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन लाना होता है : बीईओ पटेल।

*कलात्मक व सृजनात्मक क्षेत्र राखी बनाओ प्रतियोगिता में संकुल रूमगा पथर्रा के छात्र छात्राओं ने अपनी अनूठी पहचान बनायी।*

*शिक्षा का मुख्य उद्देश्य व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन लाना होता है : बीईओ पटेल*

कृष्णा पांडे की रिपोर्ट,

पेंड्रा/मरवाही : शिक्षा के साथ साथ सह संज्ञानात्मक क्षेत्र में रूचि रखकर प्रतिभाओं को सामने लाना भी विद्यार्थियों का कर्तव्य होना चाहिए। संज्ञानात्मक शिक्षा या एफएलएन के सन्दर्भ में शिक्षा का उद्देश्य आपके व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन लाना होता है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों की कलात्मकता और सृजनात्मक क्षमता को आगे बढाना है।उक्त बातें मुख्य अतिथि की आसन्दी से बीईओ मरवाही दिलीप कुमार पटेल ने संकुल स्तरीय राखी बनाओ प्रतियोगिता कार्यक्रम रूमगा पथर्रा में कही।
गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के मरवाही विकासखण्ड में संकुल स्तरीय राखी बनाओ प्रतियोगिता का आयोजन संकुल रूमगा पथर्रा के पूर्व माध्यमिक शाला मटियाडांड में हुआ।इस कार्यक्रम में मरवाही विकासखण्ड के बीईओ दिलीप कुमार पटेल शामिल होकर बच्चों एवं शिक्षकों का उत्साहवर्धन किये। शुभारम्भ में अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती जी की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन किया गया तदुपरान्त बालिकाओं द्वारा माँ सरस्वती वंदना गीत प्रस्तुत किया गया तत्पश्चात शिक्षक शिक्षिकाओं द्वारा अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ भेंट कर किया गया।
संकुल समन्वयक रामशरण किरण ने राखी बनाओ प्रतियोगिता के सम्बन्ध में स्वागत उद्बोधन देते हुए संक्षिप्त जानकारी दी कि बच्चों की रूचि एवं लगन के अनुसार उनकी कलात्मक क्षमता को निखारने हेतु हमने संकुल की ओर से हर साल ऐसी प्रतियोगिता आयोजित कर उनकी प्रतिभा को निखारने का प्रयास किया है।सभी शिक्षक अपने स्कूल एवं बच्चों के लिए प्रेरणादायी हैं।
तत्पश्चात राखी बनाओ प्रतियोगिता में प्रतिभागी बनकर आये बच्चों ने स्वयं द्वारा बनायी गई राखी का प्रदर्शन किया जिसका अवलोकन एवं अंक प्रदानकर अतिथियों ने बच्चों का उत्साह बढ़ाकर उन्हें प्रोत्साहित किया। माध्यमिक शाला मड़ई के विद्यार्थियों ने प्राप्त किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे संकुल प्राचार्य नरोत्तम पाव ने सम्बोधित करते हुये कहा कि प्रतियोगिता आयोजित करने से बच्चों में प्रतिस्पर्धा की भावना आती है और बच्चे बेहतर से बेहतर अपनी प्रतिभा को सामने रखने का प्रयास करते हैं और सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त करते हैं हमें केवल पढाई तक ही सिमटकर नहीं रहना चाहिए बल्कि पढाई के साथ साथ अन्य बाह्य कौशलों को भी बढ़ावा दिया जाना चाहिए संज्ञानात्मक और सह संज्ञानात्मक दोनों क्षेत्र में विद्यार्थी को आगे रहना चाहिए।राखी बनाओ प्रतियोगिता में बच्चों की सृजनात्मक और कलात्मक क्षमता उभरकर सामने आती है।इससे बच्चों की अनूठी पहचान बनती है।
इस बीच विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये।जिसमें सभी स्कूलों के बच्चों ने देशभक्ति भावना, छत्तीसगढ़ी संस्कृति , करमा लोक गीत पर आधारित गीतों पर कई सामूहिक एवं युगल नृत्य प्रस्तुत किये। संकुल स्तरीय कार्यक्रम में बालक बालिकाओं ने बेहतर प्रस्तुति दी।राखी बनाओ प्रतियोगिता में प्रथम द्वितीय तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को अतिथियों द्वारा प्रशस्ति पत्र व पुरस्कार प्रदान कर प्रोत्साहित किया गया।

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