पशुपालकों ने लिया गौठान में ही पशुओं को भेजने का निर्णय*

 

*पशुपालकों ने लिया गौठान में ही पशुओं को भेजने का निर्णय*

*आवारा पशु मिलने पर पशुपालक के खिलाफ होगी जुर्माने की कार्यवाही*

*रोका छेका को लेकर चलाई जा रही जिला प्रशासन की पहल से जुड़ रहे ग्रामीण, पशुपालक, किसान*

राजेंद्र जायसवाल का रिपोर्ट

जांजगीर चांपा। जिला कलेक्टर सुश्री ऋचा प्रकाश चौधरी के निर्देश और जिला पंचायत सीईओ डॉ ज्योति पटेल के मार्गदर्शन में ग्राम पंचायतों में सतत रूप से खरीफ की फसल को पशुओं के चराई से बचाने के लिए जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है। जिसमें किसानों, पशुपालकों, ग्रामीणों को जागरूक करने, पशुओं को गौठान में ही भेजने, आवारा छोड़ने वालो पर जुर्माना लगाने का बैठकों में निर्णय लिया गया। इसके साथ ही स्थानीय स्तर पर पशुओ को लाने ले जाने के लिए चरवाहा की व्यवस्था करने का निर्णय लिया गया।

जिला पंचायत सीईओ ने बताया कि गांव गांव में रोका छेका की परम्परा प्राचीन काल से चली आ रही है। इस व्यवस्था और ज़िला प्रशासन की पहल से प्रभावित होकर ग्रामीणों ने जागरूकता के साथ गांव में बैठक के माध्यम से निर्णय लेकर अपने घरों के मवेशियों और आवारा पशुओं के लिए आश्रय की व्यवस्था कर रहे हैं। इस व्यवस्था से किसानों की फसलों को पशुओं के चरने से बचाया जा रहा हैं।

*आवारा मवेशियों को रोकने आश्रय के साथ संरक्षण*
जनपद पंचायत अकलतरा की ग्राम पंचायत खटोला, साजापाली, हरदी, सांकर, कोटगढ़ में आवारा पशुओं के सड़क पर बैठे रहने और विचरण करने से वाहन चालकों सहित मवेशियो के दुर्घटना होने की संभावना बनी रहती है। इसके साथ ही फसलों को भी चराई से नुकसान होता है। इसलिए ग्रामीणों ने अपनी सहभागिता निभाते हुए बैठक में निर्णय लिया कि पशुओं से फसलों की सुरक्षा के साथ ही उनके लिए भी सुरक्षा प्रदान की जाए। इसलिए गौठान के साथ ही अस्थाई आश्रय बनाकर पशुओं का संरक्षण किया जाए। गांव में घूमने वाले आवारा मवेशियों को चरवाहे के माध्यम से व्यवस्था करते हुए सुरक्षित तरीके से ले जाया जा रहा है। इन आवारा पशुओं के लिए ग्रामीणों की सहभागिता से चारा पानी एवं अन्य व्यवस्थाएं भी की जा रही है। नियमित रूप से पशुओं का स्वास्थ्य परीक्षण की जांच की जा रही है। ताकि किसी भी तरह के रोग से मवेशियों को बचाया जा सके।

 

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