साढ़े चार साल कड़ी मशक्कत के बाद सीमा देवांगन को मिली डॉक्ट्रेट की उपाधि, गुरू घासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से किया पीएचडी
जिला रिपोर्ट राजेंद्र प्रसाद जायसवाल
जांजगीर चांपा। गुरुघासीदास यूनिवर्सिटी बिलासपुर में चांपा की सीमा देवांगन ने 2019 से कम्प्यूटर साइंस में साढ़े चार साल तक पीएचडी कर स्टडी ऑफ़ कोड स्मेल डिटेक्शन यूजिंग मशीन लर्निंग एप्रोच में शोध करने के उपरांत उन्हें डॉक्ट्रेट की उपाधि प्राप्त हुई।
शोधकर्ता सीमा देवांगन ने बताया कि शोध निर्देशक डॉ राजवंत सिंह राव के मार्गदर्शन में गुरु घासीदास यूनिवर्सिटी बिलासपुर में विगत 2019 से कम्प्यूटर साइंस में पीएचडी किया। साढ़े चार साल की कड़ी मेहनत के बाद डॉक्ट्रेट की उपाधि प्राप्त हुईं। उन्होंने बताया कि इस शोध के बाद साफ्टवेयर डेवलपर को साफ्टवेयर बनाने में मदद मिलेगी। साथ ही साफ्टवेयर के मेंटेनेन्स में होने वाले खर्च को कम कर सकेंगे। जिससे महंगे से महंगे साफ्टवेयर की क़ीमत कम हो जायेगी और हरेक वह सामान जो ऑटोमेटिक चलता है। जिससे साफ्टवेयर का प्रयोग होता है। इसका दाम कम हो जायेगा। यह शोध कार्य साढ़े चार साल में पूरा हुआ। इस बीच कई तरह की कठिनाइयों के दौर से गुजरना पड़ा। लेकिन परिवार के सहयोग से हरेक मुश्किल कार्य पूरा हो गया। सीमा देवांगन चांपा के समाजसेवी डॉ सुरेश कुमार देवांगन की पत्नी हैं। उन्हें डॉक्ट्रेट की उपाधि मिलने पर उनके पिता परदेशी लाल, माता सरोजनी समेत किसान स्कूल बहेराडीह की टीम और जिले के बिहान की महिलाओ ने प्रसन्नता जाहिर है