आरोपी को आजीवन कारावास: विवाह का झांसा देकर दैहिक शोषण का मामला…
विशेष न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला
आरोपी का छल और न्यायालय का कड़ा रुख
कोरबा के विशेष न्यायालय ने विवाह का झांसा देकर दैहिक शोषण करने वाले आरोपी अशोक राजवाड़े को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। आरोपी ने पीड़िता को प्रेम और विवाह का झांसा देकर तीन वर्षों तक शारीरिक शोषण किया। मामले में आरोपी ने पीड़िता से नोटरी के माध्यम से इकरारनामा बनवाया था। विवेचना में पता चला कि आरोपी पहले से दो महिलाओं से विवाह कर उन्हें छोड़ चुका था। दोनों पूर्व पत्नियों के बयानों को न्यायालय ने अपराध सिद्ध करने का प्रमुख आधार माना।
पीड़िता की रिपोर्ट और विवेचना की प्रक्रिया मे कृष्णा साहू उप निरीछक की रही प्रमुख भूमिका…
पीड़िता ने पुलिस को रिपोर्ट दी कि आरोपी ने उसे विवाह का झांसा देकर कोरबा में रखा और शोषण किया। बाद में पता चला कि वह पहले से शादीशुदा है और एक बेटी का पिता है। विरोध करने पर आरोपी ने पीड़िता को धमकी दी और मारपीट की। सीएसईबी चौकी में अपराध क्रमांक 539/2020 के तहत आरोपी पर धारा 376(2)(n), 417, 294, 506 (b) भादवि और अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धारा 3(2)(5) के तहत मामला दर्ज किया गया। विवेचना अधिकारी ने आरोपी की पूर्व पत्नियों और अन्य साक्ष्यों को न्यायालय में प्रस्तुत किया, जिससे आरोपी के आपराधिक इतिहास को उजागर किया गया।
*न्यायालय का निर्णय और कानूनी महत्व*
विशेष न्यायालय ने 19 नवंबर 2024 को फैसला सुनाते हुए आरोपी को दोषी करार दिया। न्यायालय ने कहा कि पीड़िता की सहमति छलपूर्वक ली गई थी। आरोपी को धारा 376(2)(n) के तहत आजीवन कारावास और ₹25,000 जुर्माना, और अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत भी आजीवन कारावास और ₹25,000 जुर्माने की सजा सुनाई गई।
विशेष लोक अभियोजक कमलेश उपाध्याय ने प्रभावी पैरवी की।
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