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बिलासपुर एसीसीयू की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े होने लगे ? आधुनिक संसाधन मजबूत सूचना तंत्र अपराधियों की पहचान होने के बावजूद एसीसीयू नाकाम क्यों?

 

बिलासपुर  एसीसीयू की कार्यप्रणाली पर सवाल, बढ़ते अपराधों से जनता में रोष

बिलासपुर। शहर में बढ़ती आपराधिक घटनाओं और एसीसीयू  की नाकामी ने जनता की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। हाल ही में टिकरापारा में भाजपा नेत्री के घर हुई चोरी और सदर बाजार में 3.50 लाख रुपये की उठाईगिरी जैसे मामलों में पुलिस की निष्क्रियता से नागरिकों का विश्वास डगमगा गया है। आरोपियों की पहचान हो जाने के बावजूद उन्हें पकड़ने में  एसीसीयू असफल साबित हो रही है।

हाल फिलहाल की  घटनाएं जो बनीं सवाल का कारण?
टिकरापारा चोरी मामला: भाजपा नेत्री के घर में घटी चोरी की घटना ने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया। सिटी कोतवाली में दर्ज शिकायत के अनुसार, घटना जो घर से लाखो का समान जेवर चोरी हो गया था। मामले की जांच में जुटी पुलिस और  एसीसीयू अब तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है।

सदर बाजार में उठाईगिरी: शहर के भीड़भाड़ वाले इलाके सदर बाजार में आरोपियों ने 3.50 लाख रुपये की रकम चुरा ली। सीसीटीवी फुटेज में उनकी पहचान हो चुकी है, लेकिन अब तक गिरफ्तारी न होने से जनता में आक्रोश बढ़ रहा है।

एसीसीयू की नाकामी से जनता मे काफ़ी आक्रोश है, क्यू की बिलासपुर एसीसीयू को तकनीकी रूप से सक्षम और मजबूत सूचना तंत्र से लैस माना जाता है। इसमें बड़ी टीम, आधुनिक उपकरण और व्यापक सीसीटीवी नेटवर्क शामिल हैं। इसके बावजूद अपराधियों तक न पहुंच पाने की वजह से  एसीसीयू की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं।

चोरी और लूट के बढ़ते अपराध को लेकर भी एसीसीयू  की निष्क्रियता पर सवाल खड़े हो रहे है?

चोरी और लूट के मामलों में लगातार हो रही वृद्धि ने आम जनता की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। हाल के दिनों में शहर में अपराध के बढ़ते आंकड़े दिखाते हैं कि बदमाशों के हौसले बुलंद हो गए हैं। यह स्थिति केवल आम नागरिकों की सुरक्षा को प्रभावित नहीं कर रही, बल्कि एसीसीयू (एंटी क्राइम एंड क्रिमिनल यूनिट) और पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े कर रही है।

*एसीसीयू  की भूमिका पर सवाल?
एसीसीयू का मुख्य उद्देश्य संगठित अपराधों और चोरी जैसे मामलों पर नियंत्रण पाना है। बावजूद इसके, बढ़ते अपराध संकेत देते हैं कि या तो एसीसीयू अपनी जिम्मेदारियां निभाने में विफल हो रही है या पुलिस और इस यूनिट के बीच समन्वय की कमी है। कई मामलों में यह देखा गया है कि घटनाओं के बाद जांच में देरी, सुस्त रवैया और दोषियों पर कार्यवाही में कमी अपराधियों को और अधिक साहसी बना रही है।

चोरी और लूट के मामलों ने न केवल आर्थिक नुकसान पहुंचाया है बल्कि लोगों के मन में भय का माहौल भी पैदा कर दिया है। खासकर व्यस्त बाजार, सुनसान इलाके और रात के समय होने वाले अपराध आम होते जा रहे हैं। एसीसीयू और पुलिस की निष्क्रियता के चलते जनता में यह भावना बढ़ रही है कि उनकी सुरक्षा केवल कागजी दावों तक सीमित है।

ऐसे अपराध पर लगाम लगाने के लिए पुलिस और एसीसीयू की संयुक्त जिम्मेदारी है। उनकी निष्क्रियता न केवल जनता की सुरक्षा पर प्रश्नचिह्न लगाती है बल्कि अपराधियों को बढ़ावा देती है।

शहर में बढ़ती आपराधिक घटनाओं और एसीसीयू  की नाकामी ने जनता की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। हाल ही में टिकरापारा में भाजपा नेत्री के घर हुई चोरी और सदर बाजार में 3.50 लाख रुपये की उठाईगिरी जैसे मामलों में पुलिस की निष्क्रियता से नागरिकों का विश्वास डगमगा गया है। आरोपियों की पहचान हो जाने के बावजूद उन्हें पकड़ने में  एसीसीयू असफल साबित हो रही है।

विशेषज्ञों का मानना है कि साइबर सेल को अपराधियों पर त्वरित कार्रवाई करने के लिए अपनी रणनीति में सुधार करना होगा। शहरवासियों का कहना है कि प्रशासन को इन घटनाओं पर कड़ी कार्रवाई कर अपराधियों में डर पैदा करना चाहिए।

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