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गोबर से सरकार का नाम रोशन करने वाले आज वेतन के लिए दर-दर भटकने पर मजबूर।

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करगी रोड कोटा कृष्णा पांडे की रिपोर्ट
सीएमओ करगी रोड की दादागिरी।
आपको ज्ञात होगा कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा गोबर को लेकर काफी योजनाएं प्रभाव सील की जा रही है. जिससे एक अंडा लकड़ी दिया आदि बनाया जाता है.
मणिकांचन केंद्रों द्वारा महिलाएं गोबर खरीदती है तथा नगर पंचायत को सुपुर्द कर उसका खाद भी बनाती है. जिसे वर्मी कंपोस्ट खाद कहा जाता है जिसे शासन ने आज हर किसानों को खरीदना अनिवार्य कर दिया है.
परंतु आज वही खाद बनाने वाली महिलाएं वेतन के लिए दर-दर भटक रही है. सीएमओ करगी रोड श्रुति सागर राज आती है और महिलाओं से यह भी नहीं पूछती कि तुमने कुछ नाश्ता किया है यानहीं. यह बड़ी विडंबना है कि करगी रोड कोटा में आज लगभग तीन चार महीने से रिक्शा चलाने वाली महिलाओं को वेतन नहीं मिला खाद बनाने वाली महिलाओं को वेतन नहीं मिला और यह सिर्फ इसी मां की बात नहीं है यह लगातार सालों से चला आ रहा है कि वह कई महीना बीत जाने पर ही वेतन देते हैं.
मणि कंचन केंद्र करगी रोड कोटा द्वारा श्रुति सागर राज सीएमओ नगर पंचायत कोटा को पूर्व में ही एक लिखित आवेदन ज्ञापन दे दिया गया था जिसमें यह लिखा गया था कि हमारा वेतन विसंगति दूर किया जाए अन्यथा हम हड़ताल पर रहेंगे. परंतु सीएमओ श्रीमती सागर राज के कान में जूं तक नहीं रेंगा. दिनांक 28 12 2022 को श्रुति सागर राज मणि कंचन केंद्र करगी रोड कोटा आई जरूर परंतु महिलाओं से किसी प्रकार बात ना कर उनको भगा देने के लिए हतोत्साहित किया गया. जो महिलाएं दिन भर गोबर में सनी रहती है और उनका काम करती है वहीं महिलाएं आज आंसू की धाराएं बहा रही हैं.
यह बड़ी विडंबना है कि महिलाओं को ही कहा जाता है कि आप रिक्शा बनवाई है टूटी फूटी रिक्शा को लेकर के महिलाएं चलती है और अपना पैसा लगाकर महिलाएं रिक्शा बनाती हैं कि शासन द्वारा रिक्शा बनाने के लिए पैसा आता है नगर पंचायत में परंतु आप ऐसा कहां हजम होता है यह आज तक किसी को पता नहीं.
दूसरी बात आपको बता दें कि महिलाओं को कहा जाता है कि आप कचरा पार्टी बेचो ₹30 के हिसाब से अगर नहीं बेचोगे तो वेतन नहीं मिलेगा क्या महिलाएं जबरदस्ती किसी के घर से ₹30 चोरी करें और उसे घर में बाल्टी छोड़कर आएं जिसे खरीदना है वही खरीदेगा जिसे नहीं खरीदना है वह क्या खरीदेगा
इसका दंड उन महिलाओं को क्यों जो सिर्फ ₹6000 में कई घंटे की ड्यूटी निभाते हैं.
यह नगर पंचायत की दादागिरी नहीं तो और इसे क्या कहा जा सकता है

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