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क्या शिशु भवन बना शिशुओं का कब्रगाह ? पूर्व में भी लगे हैं कई गंभीर आरोप, हुई है कई शिकायतें।

क्या शिशु भवन बना शिशुओं का कब्रगाह?

 पूर्व में भी कई शिकायत ,
शिशु भवन अस्पताल संचालक के खिलाफ गलत इलाज करने से इंफेक्शन का आरोप, मामले को लेकर परिजन ने किया शिकायत ,
बिलासपुर–  डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया जाता है जब किसी इंसान को शरीर पर किसी तरह की शारीरिक, मानसिक समस्या होती है तो वह पूर्ण विश्वास के साथ आंख बंद कर भरोसा करके डॉक्टर के पास जाता है। कुछ जगह पर भरोसा तब टूट जाता है जब कोई डॉक्टर गलत व लापरवाही पूर्वक इलाज करके मरीज की जिंदगी खतरे में डाल देता है। या फिर कोई बड़ी अनहोनी हो जाती है जिसकी भरपाई पीड़ित मरीज को अपने किसी अंग को त्याग कर चुकाना पड़ता है। कुछ ऐसा ही मामला प्रकाश में आया है । सूत्रों की माने तो पूर्व में भी शिकायतें मिलती रही है.
पीड़ित परिवार से शिकायतकर्ता अमित कुमार महिपाल ने एक निजी अस्पताल के संचालक एवं कर्मचारी के ऊपर गंभीर आरोप लगाकर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी बिलासपुर के समक्ष लिखित शिकायत दिया है। शिकायतकर्ता का आरोप है कि उसकी भतीजी कु. स्वेता खांडेल उम्र 5 वर्ष का पैर में समस्या होने के कारण इलाज हेतु मध्य नगरी चौक बिलासपुर में स्थित शिशु भवन डॉक्टर श्रीकांत गिरी के अस्पताल में दिनाँक 20-1-2023 को भर्ती किया गया था। जहां पर उसका लगभग 10 दिनों तक इलाज किया गया। बताया जाता है कि उक्त अवधि पर अस्पताल में गलत एवं लापरवाही पूर्वक इलाज होने के कारण मासूम बच्ची के दाहिने हाथ में इंफेक्शन हो गया। आरोप है कि जिस जगह पर इंफेक्शन हुआ वहा पर नीडल लगाया गया था। इस तरह से लापरवाही बरतने के कारण दाहिने हाथ पर इंफेक्शन होने का कारण बताया जा रहा है। मासूम बच्ची के उस हाथ को काटने की स्थिति बन गई है। वही दूसरी तरफ अस्पताल संचालक ने अपनी गलतियों को छीपाने के लिए दिनांक 30-1-2023 पीड़ित बच्ची को रायपुर एम्स अस्पताल में रिफर कर दिया है। अगर शिकायतकर्ता का आरोप सही है तो यह बहुत ही निंदनीय विषय है। बहरहाल देखने वाली बात होगी कि मामले पर कब तक जांच हो पाती है।

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