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भारत तिब्बत सहयोग मंच” का लक्ष्य और उद्देश्य, मानसरोवर की मुक्ति तिब्बत की आजादी।

“भारत तिब्बत सहयोग मंच” का लक्ष्य और उद्देश्य, मानसरोवर की मुक्ति तिब्बत की आजादी

जया अग्रवाल
ग्वालियर,मध्य प्रदेश

भारत तिब्बत सहयोग मंच के मध्य क्षेत्र संयोजक गिरिराज किशोर पोद्दार राजू भैया पूर्व विधायक कटनी , के आतिथ्य मे ग्वालियर ओल्ड विश्राम गृह में पत्रकार वार्ता का आयोजित की गई। राजू भैया ने अपने व्याख्यान मैं भारत तिब्बत सहयोग मंच के उद्देश एवं लक्ष्य की विस्तार में जानकारी देते हुए बताया कि, चीन के द्वारा तिब्बत पर कब्जा करने, से हमारे देवा धी देव महादेव का धाम “कैलाश मानसरोवर” विस्तार वादी चीन के कब्जे में चला गया है साथ ही भारत की सुरक्षा पर भी बहुत बड़ा खतरा उत्पन्न हो गया। भारत की सुरक्षा एवं महादेव का धाम कैलाश मानसरोवर की मुक्ति के लिए भारत तिब्बत सहयोग मंच 25 वर्षों से कार्य कर रहा है इस मंच की स्थापना 5 मई 1999 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के परम पूजनीय सरसंघचालक रज्जू भैया द्वारा एवं परम पूजनीय सुदर्शन जी के मार्गदर्शन में की गई थी, जिसका मार्गदर्शन तब से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक डॉ इंद्रेश कुमार जी कर रहे हैं। मुख्य के रूप से मध्य भारत प्रांत के महामंत्री अर्जुन अग्रवाल, मध्य भारत प्रांत महिला प्रकोष्ठ अध्यक्ष मोनिका जैन एडवोकेट,प्रांत श्रावण संकल्प संयोजक डॉ चंद्र कुमार दुबे, ग्वालियर जिला संयोजक राम बहादुर सिंह भदौरिया,श्रीकांत पोद्दार, बृजराज सिंह तोमर, विजय पाल सिंह, एस बी दुबे, रघुवीर सिंह तोमर, रामनरेश भदौरिया एवं अन्य कार्यकर्ता उपस्थित रहे। एवं कैलाश मानसरोवर की मुक्ति के लिए श्रावण मास संकल्प किया।

*तिब्बत की आजादी क्यों जरूरी*

तिब्बत पर चीन के कब्जे से चीन हमारी भारत की सीमाओं पर आकर खड़ा हो गया।

चूंकि कैलाश मानसरोवर तिब्बत में है अतः कैलाश मानसरोवर भी विस्तार वादी चीन के कब्जे में चला गया।

भारत तिब्बत सहयोग मंच के कार्यकर्ता जन-जन को इस मंच से जोड़कर भारत की सुरक्षा में एवं कैलाश मानसरोवर की मुक्ति में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।

सम्मान
उपस्थित अतिथियों एवं मंचासीन अतिथियों का सम्मान किया।
उपस्थित पत्रकार बंधुओं का मंच के पदाधिकारियों द्वारा सम्मान किया गया।

एवं सभी से आग्रह किया, कि इस बार गुवाहाटी से तवांग यात्रा जाने वाली तीर्थ यात्रा जो की प्रति वर्ष आयोजित की जाती है उसमें सहभागिता कर अरुणाचल प्रदेश और देश के अंतिम छोर की सीमा पर तवांग में खड़े सैनिकों को देखकर धरती माता का पूजन करके देश प्रेम के भाव से ओतप्रोत हो प्रकृति की अनुपम छटा का नजारा देखकर रोमांचित हो।

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