एक प्रभारी तहसीलदार को दो तहसील का प्रभार समझ से परे?कृष्णा पांडे की रिपोर्ट,
मामला जिला जीपीएम का है जहाँ प्रभारी तहसीलदार पेंड्रा और सकोला देखता रहा अब गौरेला का प्रभारी बना दिया. बस्तर से आए प्रभारी तहसीलदार ध्रुव जी गौरैला में प्रभार भी ले लिए थे अपना काम भी चालू कर दिया था आखिर ऐसा क्या मामला हुवा की एक आदिवासी तहसीलदार को यहाँ से तुरंत हटा दिया गया⁉️. और प्रभारी तहसीलदार को दोनों तहसील गौरेला और पेंड्रा का तहसीलदार बना दिया गया. ऐसे होने से किसानो को अपनी कार्य में बाधा उत्पन्न हो रहा है ये समझ से परे है की क्या जीपीएम में और कोई तहसीलदार नहीं है. आपको बता दें की दोनों तहसील में 150से ज्यादा ग्राम पंचायत है और किसानो के कई प्रकरण लंबित है वो भी सालो से. जबकि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा अनेक योजनाए आयी ज रही है वह धरी की धरी राह जाएगी आखिर जीपीएम में हो क्या रहा है. वर्तमान में गिरदावली होनी है जिसमें तहसीलदार का लगातार देखरेख करना होता है मगर एक ही तहसीलदार को दो-तीन जगह प्रभार देने से क्या वह इस कार्य को देख सकते हैं इस बात को कोई भी समझ सकता है
वैसे भी गौरेला तहसील में कई मामले पेंडिंग पड़े हुए हैं और कई सालों से है जिसका निराकरण आज तक नहीं हो पाया है. तहसील कार्यालय में पूर्ण रूप से तहसीलदार ना होने से किसानों की जमीन संबंधी समस्याओं की सुनवाई में विलंब होने के कारण किसानों के ऊपर आर्थिक एवं मानसिक बोझ बढ़ेगा जिससे किसान आगे कोई भी कदम उठाने को मजबूर हो सकता है जबकि राज्य सरकार किसानों के हित में कई फैसले लेते जा रही है साथ ही आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी एवं कांग्रेस दोनों पार्टियां किसानों को साधने में जुटी हुई है बावजूद इसके जिले में इस तरीके के निर्णय जिससे किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है या मामला समझ से परे है.
इस पूरे मामले में सत्ताधारी दल कांग्रेस के विधायक एवं नेताओं को शीघ्र ही संज्ञान लेने की सख्त आवश्यकता है अन्यथा चुनाव में किसानों को हो रही समस्याओं का परिणाम कांग्रेश के लिए हानिकारक हो सकता है जीपीएम प्रशासन द्वारा इस तरह का निर्णय आम जनता के लिए नुकसानदायक सिद्ध होता नजर आ रहा है।
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